नगरीय निकाय चुनाव राजिम में अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला

राजिम :- छत्तीसगढ़ में इन दिनों नगरीय निकायों के साथ त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का जोर अपने पूरे शबाब पर पहुच चुका है. नगरीय निकायों में जहां आगामी 11 फरवरी को वोटिंग है इसलिए ज्यादा उफान यही देखने मिल रहा है. गरियाबंद जिले के राजिम नगर पंचायत में 6 प्रत्याशी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी कर रहे है जिसमे कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी के बीच सीधा मुकाबला देखने मिल रहा है शेष प्रत्याशियों का जमानत बचना भी मुश्किल लग रहा है. नगर की जनता का अभिमत तो मतपेटियों से होकर निकलेगा बावजूद जमीनी हकीकत को देख और सुनकर अनुमान लगाना यहाँ कठिन नहीं है.

कांग्रेस प्रत्याशी पवन सोनकर पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष है जिस कारण चुनाव के वे सभी पैतरो से वाकिफ है जो विरोधी उनके खिलाफ इस्तेमाल करने वाले है इसलिए वे औरो की अपेक्षा ज्यादा चौकस और चौकन्ने है. विरोधियों को कैसे पटखनी देना है चुनावी बिसात बिठाकर वे प्रचार में निकले है जिसकारण अपार जनसमर्थन उनके साथ दिखाई देने लगा है. सत्तापक्ष से निपटना उन्हें भलीभांति आता है. इससे पूर्व वे निर्दलीय की हैसीयत से नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत चुके है. पांच साल का सफल कार्यकाल बीताकर और विकास पुरुष की छबि के साथ बेदाग राजनीति चेहरा वे माने जाते है. उनके कार्यकाल में विकास की अन्तहीन गाथा लिखी गई जिससे राजिम नगर की छबि में चार चाँद लगा और राजिम की पहचान एकबार फिर धर्मनगरी के रूप में प्रतिष्ठित हुई जिससे राजिम नगर के वाशिंदों में दो राय नहीं रह गया है.

भाजपा प्रत्याशी अधिवक्ता महेश यादव और कांग्रेस प्रत्याशी पवन सोनकर आपस में मितान है और मितान को पता है मितान की कमजोर नब्ज़. कहना ना होंगा कि पवन सोनकर के मुकाबले महेश यादव की नगर में पकड़ ना के बराकर है. महेश यादव के बारे में नगर भर में चर्चा है की सत्तापक्ष से होने का फायदा मिलेगा ऐसा जुआ खेला गया है जो चुनाव प्रचार में अलग-थलग दिखने से और भी पुख्ता नजर आने लगा है. पार्टी के स्थानीय नेताओ का समर्थन वे अब तक हासिल नहीं कर पाये है. जिससे पवन सोनकर को वाकओवर मिल गया है. और चुनाव परिणाम से पहले ही अनुमान की दिशा पवन सोनकर पर जाकर ठहर गया है. हलांकि राघोबा महाडिक के निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा के बांछे खिली हुई है लेकिन एक  समाज विशेष के कतिपय लोगो के अतिरिक्त उन्हें जनसमर्थन नहीं के बराबर है जो उनके नामांकन रैली में भी दिखाई दिया था और प्रचार में भी दिख रहा है. कांग्रेस और उनके प्रत्याशी पवन सोनकर का प्रचार प्रसार का कार्य तेजी से विशाल जनसमर्थन की दिशा में आगे बढ़ रहा है जिससे उनके विजय श्री का वरण करना बहुत ही आसन प्रतीत हो रहा है.

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