सामान नागरिक संहिता यूसीसी से स्त्री-पुरुष लैंगिक समानता का स्वप्न साकार होंगा

राजिम :- ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी यानि सामान नागरिक संहिता को लागु करने का निर्णय लिया है जिससे पंथनिरपेक्षता की हमारे सविधान निर्माताओं का स्वप्न तो पूरा होंगा ही लैंगिक समानता का स्वप्न भी पूरा होने की दिशा में बड़ा कदम होंगा. हलांकि पूरे देश में इसे लागू करना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. लेकिन इससे एक रास्ता तो खुलता ही है. संविधान के अनुच्छेद-44 में स्पष्ट व्यवस्था होने के बावजूद किसी धर्मं और संप्रदाय विशेष के खिलाफ होने की दुहाई देकर इसे रोकने की राजनीति का भी अंत होने की शुरुआत इसे माना जा सकता है. जब देश के सभी नागरिक जिसमे स्त्री और पुरुष दोनों को समानता के साथ वोट देने का अधिकार मिला हुआ है तो सिलिव मामलो जिसमे शादी, तलाक, बच्चे और संपत्ति बटवारा में ही धर्म और लिंग के आधार पर क्यों अलग-अलग न्याय व्यवस्था हो. जिसके अन्त की शुरुआत पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने शुरुआत कर दी है जिसे देश के कई राज्यों ने अपने यहाँ भी लागु करने की इच्छा जतायी जो एक शुभ संकेत है. हमारे संविधान निर्माताओं और खासकर बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के स्वप्न पूरा होने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होंगा इसमे कोई दो मत नहीं हो सकता है.

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